Saturday, March 2, 2019

गोण्डा ■ सोमवार को महाशिवरात्रि पर्व, ●●●● शिव जी को खुश करने के लिये शिवलिंग पर अर्पित करते हैं यह चीज, (प्रदीप पाण्डेय).. गोण्डा नगर के दुःखहरण नाथ मंदिर और जिले के खरगूपुर में स्थित प्रसिद्ध पृथ्वीनाथ मंदिर पर सोमवार इस अवसर पर हजारो श्रद्धालुओं की उमड़ेगी काफी भीड़


■ महाशिवरात्रि भगवान शिव की साधना के लिए बहुत ही उत्तम दिन होता है। 4 मार्च सोमवार को महाशिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव की साधना- आराधना करने से जीवन और ग्रहों से संबंधी तमाम दोषों का निवारण होता है। महाशिवरात्रि के दिन भक्तगण शिवजी को खुश करने के लिए शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित करते हैं, लेकिन कई बार भूलवश ऐसी चीजें भी चढ़ाने लगते हैं, जिसे शास्त्रों में वर्जित माना जाता है।

शिव उपासना में न करें शंख का इस्तेमाल---
शिव उपासना में शंख का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। दरअसल भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शिवजी की पूजा में कभी भी शंख नहीं बजाना चाहिए।
◆ शिवलिंग पर न चढ़ाएं तुलसीदल---
तुलसी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है और सभी शुभ कार्यों में इसका प्रयोग होता है, लेकिन तुलसी को भगवान शिव पर चढ़ाना मना है। भूलवश लोग भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती।

शिवलिंग पर तिल न अर्पित करें----
तिल को शिवलिंग में चढ़ाना वर्जित माना जाता है। क्योंकि यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।

शिवलिंग पर टूटा हुआ चावल न छिड़कें---
भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ता।

कुमकुम या सिंदूर है वर्जित--
कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर हल्दी भी न चढ़ाएं।

नारियल का इस्तेमाल न करें---
कभी भी शिवलिंग पर नारियल के पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए। नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है, अतः शिवजी को नहीं चढ़ता।

महाशिवरात्रि के दिन पवित्र नदी के जल से अभिषेक करने के बाद पुष्प अर्पण करने मात्र से ही औढरदानी प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दे देते हैं। हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव को सफेद रंग के पुष्प पसंद हैं। लेकिन उन्हें सभी सफेद रंग के फूल नहीं चढ़ाए जाते हैं।

◆ शिव ने किया था इस पुष्प का त्याग---
भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी केतकी का फूल न चढ़ाएंं क्योंकि महादेव ने इस फूल का अपनी पूजा से त्याग कर दिया है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी कौन बड़ा और कौन छोटा है, इस बात का फैसला कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। इस पर भगवान शिव ने एक शिवलिंग को प्रकट कर उन्हें उसके आदि और अंत पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा जो इस बात का उत्तर दे देगा वही बड़ा है। इसके बाद विष्णु जी उपर की ओर चले और काफी दूर तक जाने के बाद पता नहीं लगा पाए। उधर ब्रह्मा जी नीचे की ओर चले और उन्हें भी कोई छोर न मिला। नीचे की ओर जाते समय उनकी नजर केतकी के पुष्प पर पड़ी, जो उनके साथ चला आ रहा था।

उन्होंने केतकी के पुष्प को भगवान शिव से झूठ बोलने के लिए मना लिया। जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि मैंने पता लगा लिया है और केतकी के पुष्प से झूठी गवाही भी दिलवा दी तो त्रिकालदर्शी शिव ने ब्रह्मा जी और केतकी के पुष्प का झूठ जान लिया। उसी समय उन्होंने न सिर्फ ब्रह्मा जी के उस सिर को काट दिया जिसने झूठ बोला था बल्कि केतकी की पुष्प को अपनी पूजा में प्रयोग किए जाने के अधिकार से भी वंचित कर दिया।

इन चीजों का भी है निषेध---
महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा करते समय सिर्फ फूल ही नही बल्कि अन्य बातों का भी ख्याल रखना चाहिए। इस दिन पूजा करते समय काले रंग के कपड़े न पहनें। मान्यता है कि भगवान शिव को काला रंग बिल्कुल भी पसन्द नहीं है। इसी तरह शिव की पूजा में शंख से जल और तुलसी अर्पित करना भी निषेध है। भगवान शिव का नारियल पानी से अभिषेक भी नहीं किया जाता है।

◆ शिवरात्रि पर किस वरदान के लिए शिव जी को कौन सा फूल चढ़ाएं---
सभी भगवान को फूल विशेष प्रिय होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी हर पूजा को सहर्ष ग्रहण करते हैं। आइए जानते हैं किस फूल को चढ़ाने पर शिव जी कौन सा वरदान देते हैं,

विभिन्न पुष्पों को अर्पण करने का फल--
धतुरे के पुष्प शिव को अर्पित करने से संतान की प्राप्ति होती है। आंकड़े के फूल अर्पण करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है। एक लाख बिल्वपत्र से हर इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है। जपाकुसुम से शत्रु का नाश होता है। बेला से सुंदर सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति होती है। हरसिंगार से सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। शमी पत्र व शमी के फूल से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शंखपुष्प से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। केवड़ा के पुष्प शिव पूजन में निषेध है। शिव पुराण में भगवान शंकर की पूजा में फूल-पत्तियां दोनों को ही चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। जैसे - शमी के फूल को शिवलिंग पर अर्पित करने से जहां घर में अपार धन-संपदा का आशीर्वाद मिलता है, वहीं शमी का वृक्ष लगाने से शनि से जुड़े सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

बेला के फूल ----
यदि आप अविवाहित हैं और किसी सुदंर जीवन साथी की तलाश में हैं, तो अब आपका यह इंतजार जल्द ही खत्म हो सकता है। आपकी यह मनोकामना भगवान शिव के आशीर्वाद से पूरी हो सकती है। इस महाशिवरात्रि आप भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय बेला के फूल अर्पण करें। इस पुष्प के साथ भगवान शिव की साधना—आराधना से आपको जीवन में सुंदर व योग्य जीवनसाथी की अवश्य प्राप्ति होगी।

महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिकतर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। मध्य भारत में शिव अनुयायियों की एक बड़ी संख्या है।

गोण्डा नगर के दुःखहरण नाथ मंदिर और जिले के खरगूपुर में स्थित प्रसिद्ध पृथ्वीनाथ मंदिर पर सोमवार इस अवसर पर हजारो श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होगी

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