Sunday, January 20, 2019

गोण्डा : पसका सूकरखेत के सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर आयोजित कवि सम्मेलन में जिला जज ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया उदघाटन// राजन कुशवाहा,

गोण्डा। पसका सूकरखेत के सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर पौष पूर्णिमा स्नान मेला को लेकर पसका विकास मंच के तत्वावधान में आयोजित पसका पर्व व कवि सम्मेलन कार्यक्रम का रविवार की शाम को बतौर मुख्य अतिथि जिला जज राघवेंद्र ने ने दीप प्रज्ज्वलन कर मंच का औपचारिक उद्घाटन किया। उन्होंने इससे पहले सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर पहुँचकर सरयू मैया का वंदन किया।

बताया जा रहा है कि प्रति वर्ष पौष पूर्णिमा को होने वाले इस मेले में फैजाबाद, बाराबंकी, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती सहित आसपास के जिलों के लाखों श्रद्धालु 21 जनवरी को जुटेंगे। घाघरा-सरयू के संगम त्रिमुहानी तट पर 21 जनवरी को पौष पुर्णिमा का मुख्य स्नान होगा। गोस्वामी तुलसीदास के गुरु भूमि पर राष्ट्रीय रामायण मेला, कवि सम्मलेन, परिचर्चा समेत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं।

जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर स्थित पसका सूकरखेत में हर साल लगने वाला विशाल मेला पौष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर पूरे एक माह पौष पूर्णिमा तक कल्पवास रहता है। और पौष पूर्णिमा मुख्य स्नान के बाद इसका समापन होता है। पूस का महीना लगते ही श्रद्धालु त्रिमुहानी घाट पर कुटिया बनाकर कर एक माह तक कल्पवास करते हैं।

पसका मेले के दौरान आसपास के क्षेत्रों एवं दूसरे जनपदों से आए कलाकार जादू, सर्कस, नाटक आदि प्रस्तुत करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर यहां लोग भगवत भजन, अखंड रामायण पाठ, श्रीमद् भगवत, भंडारा सहित अन्य अनुष्ठान करते हैं।

पसका सूकरखेत राजापुर में रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म हुआ था। यहां तुलसीदास जी के गुरु नरहरि दास जी का आश्रम भी है। रामचरित मानस के बालकांड में इस स्थान का उल्लेख तुलसी जी ने किया है।इसी सूकरखेत में भगवान विष्णु ने वाराह का रूप धारण कर हिरण्याक्ष नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस स्थल को सूकरखेत नाम से भी जाना जाता है।

यहां एक मंदिर में भगवान सूकर की प्रतिमा स्थापित की गई थी। भगवान वाराह की मूर्ति आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी। करीब 33 वर्ष पूर्व 1985 में भगवान वाराह की मूर्ति चोरी हो गई, जिसे बाद में पुलिस ने खंडित अवस्था में बरामद किया। यह मूर्ति आज भी मालखाने में रखी हुई है।

वाराह मंदिर में मूर्ति न होने से श्रद्धालु भगवान वाराह के दर्शन से वंचित रह जाते थे। कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने शाहपुर स्टेट के विंदेश्वरी प्रसाद सिंह लाल साहब, पसका कोट के अशोक कुमार सिंह, बच्चन सिंह व राजाबाबू सिंह की सहमति पर पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। और बीते 28 दिसंबर को भगवान वाराह की मूर्ति मंदिर में स्थापित कराई।

पसका सूकरखेत में सरयू व घाघरा दोनों का संगम हैं। यह स्थल संगम त्रिमुहानी तट के नाम से विख्यात हैं। सरयू-घाघरा के संगम स्थल त्रिमुहानी तट पर श्रद्धालु स्नान करते हैं। परंतु संगम स्थल पर बांध बन जाने से अब यहां संगम का अस्तित्व कम है।

सनातन धर्म परिषद एवं सूकरखेत विकास समिति की तरफ से पसका में 34 वां राष्ट्रीय रामायण मेला एवं सूकरखेत महोत्सव मनाया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष डॉ. स्वामी भगवदाचार्य ने बताया कि 19, 20 एवं 21 जनवरी को रामचरित मानस पाठ, सीताराम नाम संकीर्तन भजन का आयोजन होगा। पसका विकास मंच के मंत्री विजय कुमार मिश्र ने बताया कि पसका विकास मंच एवं पसका तीर्थ मेला समिति के तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रम होंगे।

पसका विकास मंच के तहत मेले में होने वाले कार्यक्रम ◆◆◆

- 20 जनवरी को शाम 6 से 7 बजे धर्म का सामाजिक सरोकार विषय पर गोष्ठी।
- 20 जनवरी को अखिल भारतीय कवि सम्मलेन एवं मुशायरे का आयोजन।
-21 जनवरी को दोपहर 12 से दो बजे तक पर्यावरण संरक्षण में जन सहभागिता विषय पर गोष्ठी।
- 21 जनवरी शाम 4 से 6 बजे अंशुमान जी महाराज प्रणवपुरी जी वृंदावन का राम कथा पर प्रवचन।
- 21 जनवरी की शाम 6 से 8 बजे तक लोक गीत, विरहा, नाटक एवं जादू का कार्यक्रम।
- 22 जनवरी मंगलवार को रामायण मेला।

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