Friday, April 19, 2019

गोण्डा : इटियाथोक को आखिर कब मिलेगा नगर पंचायत का दर्जा// प्रदीप पाण्डेय,

गोण्डा : इटियाथोक को आखिर कब मिलेगा नगर पंचायत का दर्जा// प्रदीप पाण्डेय,

गोण्डा (प्रदीप पाण्डेय)। इटियाथोक कस्बे को नगर पंचायत बनाए जाने की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर होने लगी है। वैसे आम जनता कई बार कर यह मांग चुकी है। यहां तमाम सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाएं ब्लाक कार्यालय, सरकारी पशु चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, कई राष्ट्रीयकृत बैंक, डाकघर, कोतवाली, इंटर कालेज, डिग्री कालेज, कस्तूरबा विद्यालय, बीआरसी केंद्र, बाल विकास परियोजना कार्यालय, विद्युत केंद्र, रेलवे स्टेशन, कई निजी और सरकारी स्कूल, गैस एजेंसी, मोटरसाइकिल एजेंसी व कई तरह के अन्य व्यवसायी प्रतिष्ठान भी है।

नगर पंचायत के निर्धारित मानक के अनुकूल इटियाथोक कस्बा लगभग खरा उतर रहा है। बावजूद इसके अभी तक इसे नगर पंचायत का दर्जा हासिल नहीं हो सका है। यहां की जनता ने काफी प्रयास किया। लेकिन मुहिम को मुकाम हासिल नहीं हो पाया। इटियाथोक कस्बे को नगर पंचायत बनाने के लिए जनता ने कई बार आवाज उठाई। यहाँ की जनता यह उम्मीद लगाए बैठी है कि यदि कस्बा को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हो जाएगा, तो सड़क, बिजली, पानी व साफ़ सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं चुस्त- दुरुस्त हो जाएंगी।

यही नहीं तमाम सरकारी योजनाओं का भी लाभ उन तक तेजी से पहुंचेगा। लोगो ने कहा की चुनाव नजदीक आने पर जनप्रतिनिधि इस बावत वादा तो करते है लेकिन बाद में सबकुछ भूल जाते है।

बीते कई चुनावों में इस बाजार को नगर पंचायत का दर्जा दिलाए जाने की बात अपने चुनावी सभाओं में सम्बंधित नेताओ द्वारा कही गयी लेकिन बाद में उसे भुला दिया गया जिससे इसे नगर पंचायत का दर्जा नही मिल सका। अब लोग फिर इसकी चर्चा कसबे के दुकानों और होटलो पर बैठकर करने लगे है। लोगो के वर्षो पूर्व से हो रही भारी मांग पर भी गोंडा और बलरामपुर जनपदों के बिलकुल मध्य में बसे इस कसबे को नगर पंचायत का दर्जा नही मिल पाया। जानकारों की माने तो नगर पंचायत के लिए निर्धारित सभी मापडंडो को यह कस्बा पूरा कर रहा है। पूर्व में कई माननीयो ने अपने चुनावी संबोधन में जनता की इस मांग पर वादा करने के बाद भी वादा पूरा नही किया जिससे लोग माननीयो की बातों को केवल छलावा ही मानते है।

गोंडा से बलरामपुर मार्ग के मध्य में स्थित इस कस्बे की आबादी लगभग 20 हजार है। ये अभी ग्राम पंचायत की श्रेणी में आता है लेकिन यहाँ सभी प्रकार के जरूरी चीजें लोगो को आसानी से उपलब्ध है। जिले में यह ऐसे बड़े बाजारों की श्रेणी में आता है जहाँ नगरो की तरह हर प्रकार की छोटी बड़ी सेवाएं लोगो को मिल रही है। इतना सब होने के बावजूद भी यहाँ के लोगो को नगर पंचायत की सुविधा अभी तक नही मिली है, जिसकी सख्त जरूरत लोग मान रहे है।

लगभग एक दशक पूर्व नगर पंचायत की मांग को लेकर यहाँ के लोगो ने नगर पंचायत बनाओ संघर्ष समिति का गठन भी किया था और इसके लिए आंदोलन कर अपनी आवाज जिले के नेताओ के माध्यम से शासन तक पहुचाने का काम भी हुआ था। बाद में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से सब ठंडे बस्ते में चला गया और परिणाम शून्य रहा। संघर्ष समिति के पदाधिकारी रहे अरुण कुमार बब्बू सोनी का कहना है कि अब इस कस्बे को नगर पंचायत का दर्जा मिलने का हक है।

जिसके लिए एक बार पुनः आवाज उठाया जाएगा। संघर्ष समिति के संयोजक रहे अनिल द्विवेदी का कहना है कि जिले में परसपुर को भी नगर पंचायत बनाये जाने की मांग यहाँ से बाद में उठी थी और उसे नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हो गया। यहाँ के माननीयो की उदासीनता के चलते यह मामला अभी तक अटका हुआ है। कहा की अब एक बार पुनः आवाज उठाई जाएगी जिससे माननीयो को अपने द्वारा किए गए वादे की याद आए।

जिला पंचायत सदस्य अनवर शकील चौधरी ने कहा कि अब यहाँ के लोगो को नगर पंचायत के अनुरूप सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए लोग बहुत सब्र और इन्तजार किये। सत्यव्रत ओझा छोटू ने कहा कि बाजार को नगर पंचायत का दर्जा दिलाने के लिए यह बात माननीयो तक पहुंचाई जावेगी और उनके वादे याद दिलाते हुए इसे पूरा कराये जाने के लिए पुनः आवाज उठाई जायेगी। सहजराम तिवारी और दामोदर पाडे ने कहा की बड़े दुःख की बात है की लोगो के लाख कोशिशो के बाद भी इसको नगर पंचायत का दर्जा अभी तक नही मिला, जिसके लिए कही न कही जनप्रतिनिधि जिम्मेदार है।

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