गोण्डा (प्रदीप पाण्डेय)। संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। किसी भी वस्तु का अभाव नहीं है। अभाव है तो केवल हमारे आपके भाव में है। क्योंकि भगवान तो भाव के वश में होते हैं। प्रदर्शनी मैदान में अखिल भारतीय श्रीराम नाम जागरण मंच के तत्वाधान में आयोजित कथा में अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश शुक्ल ने कही। उन्होंने कहा कि रामकथा से हमें संस्कारों की शिक्षा मिलती है। पिता की आज्ञा पाकर राम का वन गमन, भरत द्वारा बड़े भाई के सम्मान में राजपाट का त्याग करना, राजमहल छोड़कर पति राम के साथ सीता का वन जाना जैसे अनेक प्रसंग युग-युग तक समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि रामकथा सुनने के लिए परिवार के बूढ़े बुजुर्गों को अपने बच्चों को भी साथ लाना चाहिए। यदि उनमें से संस्कार पैदा होगा। तो वृद्ध होने पर वे उन्हें तीर्थ यात्रा पर भेजेंगे और संस्कार न मिलने पर बृद्धाश्रम भेजेंगे।
कथावाचक ने आगे का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कलियुग ज्ञान नहीं, गान का युग है। जो राम कथा गाएगा, वह हरि पद पाएगा। उन्होंने राम चरित मानस को समाज का सेतु बताते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम कथा के माध्यम से समाज में आपसी भाईचारा स्थापित किया। वर्तमान में इसकी बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी धर्म की रक्षा के लिए धर्म ही नष्ट करना पड़ता है। भगवान विष्णु द्वारा वृंदा का पतिब्रत भंग करना, भगवान कृष्ण द्वारा अश्वत्थामा की मृत्यु की गुरु द्रोणाचार्य को झूठी सूचना देना इसी प्रकार का अधर्म था। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर अब नहीं, तो कब बनेगा? मन्दिर न बनना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश को विकास के साथ विश्राम भी चाहिए। राम विश्राम के प्रतीक हैं।
11 दिवसीय राम कथा रोजाना शाम को 4 बजे से 8 बजे तक होती है। प्रातः 8 बजे से 10 बजे तक पर्यावरण शुद्धि यज्ञ होता है। आयोजक निर्मल शास्त्री ने लोगों से रामकथा का पान कर पुण्य अर्जित करने की अपील की है।
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