... खेलकूद पढ़ाई के उम्र में पेट की भूख मिटाने के लिए करतब दिखाती मासूम बालिका..
गोण्डा। धानेपुर क्षेत्र के बग्गीरोड बाजार में करतब करते बच्चे के चेहरे पर मुस्कान, पैसा कमाने की ललक उस समय दिखा।जब एक बच्ची पढ़ाई लिखाई खेलकूद के उम्र में जोखिम पूर्ण करतब दिखाते नजर आयी। बचपन हर गम से अंजाना होता है। लेकिन गरीबी की मार ऐसे ही बहुत बच्चों को इस छोटी उम्र में ही दो वक्त की रोटी कमाने के लिए मजबूर कर देती है। जिसके कला को देखकर सभी हैरत में पड़ जाते हैं। गांव गलियारों, सड़क किनारों पर ककहरा क ख ग घ पढ़ने लिखने की उम्र में ऐसे होनहार बच्चें सड़कों पर जद्दोजहद करते देखे जाते हैं।
सड़क के किनारे अक्सर छोटे मासूम बच्चे जिस तरह के कारनामे दिखाते मिल जाते हैं। वह समान्य व्यक्तियों के वश की बात नहीं है। गांव या कस्बे की भीड़ में रस्सी पर करतब दिखाते इन बच्चों के आसपास से जब गुजरने वाले लोग बिना पूरा खेल देखे निकल नहीं पाते। ऐसा ही दृश्य अलावल देवरिया बग्गीरोड बाजार के पास रविवार की कडाके की ठंड व हवा के झोको के बीच दस फुट ऊंचाई पर बंधी रस्सी पर करतब कला दिखाती लड़की के कला को देखने के लिये काफी भीड़ उमड़ी रही है। रस्सी पर कभी सीधा, तो कभी उल्टा चलकर करबत दिखाती करीब दस साल की बच्ची भी रोटी जुटाने की जद्दोजहद में अपने परिवार के साथ इस काम को अंजाम देती नजर आई।
स्कूल जाने की उम्र में यह बालिका अपने सिर पर कलश रखे, हाथों में लाठी लिए हवा में लहराती रस्सी पर कई तरह की कलाबाजियां दिखाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। वह कभी रस्सी पर दौड़ती, तो कभी रस्सी पर अपने दोनों पैरों को साधते हुए नृत्य करती रही। रस्सी के एक सिरे से दूसरे सिर तक हवा में लहराते हुए एक लाठी के सहारे संतुलन बनाते हुए वह पहुंच जाती है। करतब दिखाने के बाद वह रस्सी नीचे आकर लोगों की भीड़ में बख्शीश लेने पहुंच गई। खास बात यह है कि तीन सदस्यों का यह परिवार एक पुरानी साईकिल को मालवाहक की तरह बनाकर गांव गांव भ्रमण करता है।
एक सांउड बाक्स के साथ करतब दिखाने वाली सामग्री रखकर इसी साईकिल पर करतब का पूरा सामान लादकर यात्रा करता है। दो वक्त की रोटी के लिए बच्ची की जान को जोखिम में डालते हैं। बच्ची के करतब दिखाने से लोगों द्वारा जो रुपए मिलते हैं उनसे परिवार के सदस्यों का पेट पलता है।खेल के समाप्त होने पर संवाददाता ने सर्कस दिखाने वाली बालिका से बात की। तो बालिका के बडे भाई ने बताया कि वह मध्य प्रदेश के रहने वाले है। उनके पास खेती नहीं है। कमाई का और कोई साधन भी नहीं है। परिवार पालने के लिए करतब दिखाकर जीवन यापन कर रहे है।
इस काम में खतरा की आशंका को वह जानते है। वह कहता है कि वह अपने बहन को पढाना चाहते है। शायद इस गरीब को नसीब नहीं है। वह सर्कस दिखाकर एक दिन में तीन से चार पांच सौ रुपए कमा पाते है। जिससे परिवार का गुजर बसर करते है।
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