गोण्डा।(राजन कुशवाहा)। परसपुर क्षेत्र के पसका स्थित सूकरखेत सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर कल्पवासी साधु संत के जप तप, भजन, कीर्तन से भक्तिमय बना हुआ है। भगवान वाराह के अवतार स्थल व सरयू- घाघरा संगम क्षेत्र में पौष पूर्णिमा को लगने वाला संगम मेला 21 जनवरी को है। यहाँ संगम तट पर साधु- संत व गृहस्थ जन फूस की झोपड़ी बनाकर कल्पवास कर रहे है। जगह जगह साधु भण्डारा लंगर व भजन कीर्तन हो रहे हैं। मेला परिसर में प्रदेश के विभिन्न जिलों से दूरदराज की दुकानें व मनोरंजन के साधन आते हैं। मेला परिसर में मेलार्थियो को कोई असुविधा न हो, इसके लिए अस्थाई मेला कोतवाली स्थापित होती है।
गोण्डा : डीएम ने अधिकारियों के साथ पसका पर्व तेयारियों का लिया जायजा, दिए आवश्यक निर्देश
डीएम कैप्टेन प्रभान्शु श्रीवास्तव ने रविवार को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पसका पर्व तैयारियो का जायजा लिया तथा सभी आवष्कय प्रबन्ध दो दिन के भीतर दुरूस्त कर देने के निर्देश जिम्मेदार अधिकारियों को दिए हैं।
जिलाधिकारी ने डीपीआरओ को सख्त निर्देश दिए कि दो दिन के अन्दर पूरे मेला क्षेत्र से गन्दगी हर हाल में हट जाए तथा सफाई कार्य में लापरवाही बरतने वाले सफाईकर्मियों के खिलाफ निलम्बन की कार्यवाही करें। डीपीआरओ द्वारा डीएम को बताया गया कि वर्तमान में मेला क्षेत्र की सफाई में 75 सफाईकर्मी लगाए गए हैं तथा स्नान घाट से लेकर पूरे मेला क्षेत्र में साफ-सफाई कराई जा रही है। जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधाान को निर्देष दिए कि स्नाान घाट जहां पर श्रद्धालु स्नान करेगें वहां पर सोमवार तक हर हाल में बैरीकेटिंग करा दी जाय।
जिससे किसी भी प्रकार की दुर्घटना की गुंजाइश न रह जाए। साधु संतों द्वारा मेले के दरम्यान स्नाान घाट पर षवदाह ने होने देने का अनुरोध किया गया जिस पर डीएम ने एसओ परसपुर को कड़ाई अनुपालन कराने के निर्देष दिए। इसके अलावा मेले के दौरान यातायात व्यवस्था, विद्युत आपूर्ति, तहबाजारी, घाट पर अवैध वसूली आदि के बारे मे जानकारी ली तथा एडीएम को निर्देष दिए िकवे स्वयं पूरी तैयारी कराकर उन्हें सूचित करें। सड़कों को भी दुरूस्त करने के निर्देष एक्सईएन पीडब्लूडी को दिए गए हैं।
डीएम ने स्वयं मेला क्षेत्र में भ्रमण कर मेले में आए हुए कल्पवासियों से वार्ता की और उनसे हाल चाल तथा व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होने निर्देष दिए कि मेले के दौरान अलाव की समुचित व्यवस्था सुनिष्चित की जाय।
इस दौरान एडीएम रत्नाकर मिश्र, तहसीलदार मिश्री सिंह चैहान, डीपीआरओ घनष्याम सागर, थानाध्यक्ष परसपुर बीएन सिंह, नायब तहसीलदार, ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव तथा ग्राम वासी व राजस्व विभाग के कर्मी मौजूद रहे।
◆ पौराणिक महत्व -
पसका सूकरखेत के इस पौराणिक स्थल पर भगवान विष्णु सतयुग में सूकर (वाराह) के रूप में अवतरित हुए। और हिरण्याक्ष नामक राक्षस का संहार कर पृथ्वी को उसके चंगुल से मुक्त कराया। पसका सूकरखेत में सरयू- घाघरा दो पवित्र नदियों का संगम हुआ है। यहीं पसका सूकरखेत में सरयू संगम त्रिमुहानी तट के समीप गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरि दास का आश्रम है। जहां गोस्वामी तुलसी ने अपने गुरु से शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर श्रीरामचरित मानस की रचना की। यहां प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा को सरयू संगम तट पर विशाल मेला लगता है।
पसका संगम मेला के नाम से प्रचलित इस मेला में प्रदेश के दूरदराज के जिलों से होटल, सर्कस, झूला मनोरंजन के साधन समेत कई छोटी बड़ी दुकानें आती हैं। एक किलोमीटर परिक्षेत्र में लगने वाला यह मेला दो खंडों मे रहता है। वाराह भगवान मंदिर व स्नान घाट, कल्पवास स्थल को पुराना मेला व मनोरंजन के साधन व दुकान लगने वाले क्षेत्र को नया मेला के नाम से जाना जाता है। पुराने मेला में जहां कल्पवासी फूस की झोपड़ी डालकर भजन कीर्तन कर रहे हैं। वहीं फूस के छप्पर में अस्थायी मेला कोतवाली समेत सुरक्षा व्यवस्था को पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहता है।
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■ मेला का मुख्य आकर्षण-
प्रदेश के विभिन्न जिलों की दुकानें, मेले में खान -पान, भोजन नाश्ता के होटल समेत तरह तरह के सर्कस, झूला, मौत कुआं, ट्वॉय ट्रेन, वैरायटी शो, पपेट शो, काला जादू, फोटो स्टूडियो, लोक कला नृत्य शो समेत कई मनोरंजन के साधन एवं कपड़े, कास्मेटिक, सौंदर्य प्रसाधन की दुकानें रहती है। जिससे मेला परिसर की रौनक बढ़ जाती है।
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