गोण्डा(प्रदीप पाण्डेय) 11 जनवरी। भगवान राम धर्म के प्रतीक हैं। प्रभु कृपा से जहां सुख-समृद्धि की अति हो जाती है, धर्म वहां से दूर चला जाता है। जैसे राम विवाह के बाद अयोध्या में अति सुख होने पर राजा को वन गमन करना पड़ा। यह बात अखिल भारतीय श्री राम नाम जागरण मंच के तत्वाधान में प्रदर्शनी मैदान में चल रही श्री रामकथा के नवें दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश भाई शुक्ल ने कही। वह गुरुवार को राम वन गमन की कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि राम विवाह के बाद अयोध्या में अति सुख आ गया था। राम के वनवास में अनेक कारणों के साथ एक कारण यह भी था।
जब भी हम अति सुखी होंगे, राम (धर्म) हमसे दूर हो जाएगा। व्यास पीठ ने कहा कि अपनी सर्वत्र प्रशंसा सुनकर राजा दशरथ तुरन्त सजग हो गए थे और उन्होंने दर्पण देखकर तय कर लिया था कि अब बाल सफेद होने लगे हैं। इसलिए हमें गद्दी छोड़कर (जिम्मेदारियां सौंपकर) भगवत भजन में लग जाना चाहिए। उन्होंने इस कार्य के लिए गुरु वशिष्ठ से शुभ मुहूर्त के बारे में पूछा तो गुरु जी ने यथाशीघ्र (बेगि) यह कार्य करने को कहा। राजा दशरथ ने राजतिलक का कार्य अगले दिन करने का निर्णय करके तैयारी करने का निर्देश दिया, किन्तु रात भर में ही सब कुछ उलट-पुलट गया। इसलिए हमें किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को टालना नहीं चाहिए।
श्री शुक्ल ने आगे कहा कि बीता हुआ और आने वाला कल पर हमारा कोई बस नहीं है। इसलिए जो भी करें आज करें। कथा वाचक ने कहा कि भगवान राम धर्म, सीता शांति, लक्ष्मण वैराग्य, राजा दशरथ काम, कैकेयी क्रोध और मंथरा लोभ की प्रतीक हैं। काम, क्रोध और लोभ जब एकत्रित हो जाएंगे, तो धर्म, शांति और वैराग्य का निष्कासन तय है। भगवान राम ने 14 वर्ष की वनवास की अवधि में राम राज्य की स्थापना की व्यवस्था की थी। समाज के सबसे दबे, कुचले और कमजोर वर्ग के लोगों को अपना मित्र बनाया। समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव खत्म करने का प्रयास किया।
इस मौके पर कथा के आयोजक निर्मल शास्त्री, कैप्टन आरयू पांडेय, डॉ0 प्रभाशंकर द्विवेदी, आशीष कुमार पांडेय, सूबेदार शुक्ला, जगदम्बा प्रसाद शुक्ला, सभाजीत तिवारी, संदीप मेहरोत्रा, ईश्वर शरण मिश्र, विनय चतुर्वेदी, प्रदीप दीक्षित, हरी कृष्ण ओझा, राज कुमार मिश्र आदि उपस्थित रहे।
◆◆◆ छुआछूत का भेद देश में धर्मांतरण का सबसे बड़ा कारण : रमेश भाई शुक्ल,
देश में धर्मांतरण के पीछे छुआछूत और ऊंच-नीच का भेदभाव सबसे बड़ा कारण है। यह हिन्दू धर्म की व्यवस्था के सर्वथा प्रतिकूल है। हिन्दू धर्म की सबसे लोकप्रिय और प्रामाणिक पुस्तक श्रीराम चरित मानस भी इस भेदभाव का विरोध करती है। यह बात अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश भाई शुक्ल ने कही। वह इन दिनों गोण्डा में राम कथा सुना रहे हैं। कथावाचक ने कहा कि हिन्दू धर्म में समाज के दबे, कुचले और कमजोर वर्ग के लोगों को छुआछूत के नाम पर पूजा-पाठ, उपासना-आराधना आदि से वंचित रखा गया है।
हिन्दू धर्म से धर्मांतरण का सबसे बड़ा कारण यही है। उन्होंने कहा कि यदि हम सभी को साथ लेकर नहीं चलेंगे, तो उनका धर्म परिवर्तन स्वाभाविक है। फिर हमें हो-हल्ला करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है। उन्होंने सबरीमाला मन्दिर ने वर्षों से महिलाओं के प्रवेश निषेध की चली आ रही परम्परा का भी खुलकर विरोध किया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश के सभी मंदिरों में उनका प्रवेश हो सकता है तो सबरीमाला मन्दिर में क्यों नहीं?
उन्होंने कहा कि राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने समाज को जोड़ने में महत्वपूर्व भूमिका निभाई है। यही कारण है कि गुरु विश्वामित्र समेत अनेक बड़े-बड़े लोग चलकर भगवान राम के पास आए हैं किंतु निषाद राज, सबरी, कोल-भील आदि समाज के सबसे कमजोर लोगों के पास भगवान राम खुद चलकर गए हैं। उनका संदेश साफ है कि महत्वपूर्ण लोगों को कमजोर लोगों के पास खुद चलकर जाना चाहिए। व्यासपीठ ने इच्छा व्यक्त किया कि किसी दिन छूत माने जाने वाले लोगों को भी आरती के लिए आमंत्रित किया जाय और उन्हें उचित सम्मान दिया जाय।
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