गोण्डा।( प्रदीप पाण्डेय)। अखिल भारतीय श्री राम नाम जागरण मंच के तत्वाधान में आयोजित ग्यारह दिवसीय कथा के पांचवे दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश भाई शुक्ल ने रामजन्म की कथा सुनाई। इस दौरान उन्होंने हर घर में रामजन्म की युक्ति भी बताई। कथा की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि राम परमात्मा थे, तो रावण भी महात्मा था। क्योंकि वह परमात्मा को प्राप्त कर अपनी मोक्ष चाहता था। रावण का भी जन्म नहीं हुआ था। भगवान राम की भांति उसने भी अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि ब्राम्हणों के श्राप से कैकय देश का नरेश प्रताप भानु परिवार समेत राक्षस कुल में अवतार लिया।
उसका भाई अरिमर्दन कुम्भकर्ण के रूप में जन्मा। प्रताप भानु को यह दिन केवल लालच के पीछे भागने के कारण देखना पड़ा। जो भी व्यक्ति बिना सोचे, समझे लालच के पीछे भागेगा, उसका पतन निश्चित है। उन्होंने कहा कि दुष्टों की तपस्या भी समाज के लिए समस्या बन जाती है। रावण लोभ का, कुम्भकर्ण अहंकार का और विभीषण भक्ति का प्रतीक है।
रामायण यह संदेश देती है कि अपने अंदर छिपे दानवों (लोभ, मोह, अहंकार आदि) का वध करने के लिए हमें मानव बनना पड़ेगा। श्रीशुक्ल ने कहा कि राम कथा में भगवान राम के जन्म से पहले रावण का जन्म होता है क्योंकि बाद में उसका जन्म हो हो नहीं पाता। कथावाचक ने कहा कि भगवान राम का जन्म कहीं भी हो सकता है, किन्तु उसकी कुछ शर्तें हैं। इसके लिए हमें सबसे पहले दशरथ बनना होगा अर्थात अपनी दशों इंद्रियों पर नियंत्रण रखना होगा। राम जन्म की दूसरी शर्त अयोध्या में रहना है।
उन्होंने अयोध्या शब्द की व्याख्या करते हुए कहा यह संतों के समागम का प्रतीक है। सत्संग में रहना ही अयोध्या में रहना है। तीसरी शर्त कौशल्या, सुमित्रा और कैकेई जैसी तीन रानियों का होना है। कौशल्या से तात्पर्य ज्ञान से है, सुमित्रा उपासना की प्रतीक है जबकि कैकेई कर्म हैं। ज्ञान, भक्ति व कर्म से युक्त व्यक्ति इन तीन रानियों से युक्त है। सुमन्त जैसे सारथी के लगाम से सुंदर वाणी का प्रस्फुटन होना चाहिए। इतना सब होने के बावजूद हमें राम जन्म के लिए पुरुषार्थ, प्रार्थना और प्रतीक्षा करनी होगी।
रमेश भाई ने कहा कि एक बार गुरु के सानिध्य में पहुँच जाने के याद आगे का सारा काम वह स्वयं कर डालते हैं। वह ही विराट से साक्षात्कार करवा सकते हैं। उन्होंने राम जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह नाम ही आनंददायी है। राम का नाम स्मरण करने मात्र से जीवन का कल्याण संभव है।
उन्होंने कहा कि राम के जीवन से हमें बड़ों की आज्ञा का पालन करना, परिवार के प्रति समर्पण और प्राणी मात्र से प्रेम करने के साथ ही मानव जीवन के संस्कार और सम्बन्धों की सीख मिलती है। रामकथा के आयोजक निर्मल शास्त्री ने लोगों से अधिकाधिक संख्या में राम कथा में शामिल होने की अपील की गई है। इस मौके पर शेष नारायण मिश्र, राम कथा परिवार मण्डल के ईश्वर शरण मिश्र, संदीप मेहरोत्रा, सभाजीत तिवारी आदि मौजूद रहे।
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