गोण्डा। मनकापुर में विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी की शाम को डॉक्टर धीरज श्रीवास्तव के निवास पर एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक था वर्तमान में साहित्य की गरिमा बचाने का उपाय गोष्ठी की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सतीश आर्य, ईश्वरचंद मंडावली ने संचालन किया। उमाकांत कुशवाहा ने कहा- जब तक साहित्य में समाज की सही तस्वीर प्रतिबिंबित नहीं होगी, साहित्य प्रभावहीन रहेगा।
राजेश कुमार मिश्र ने कहा- साहित्य के धरोहर को संजोए रखने की नित नवीन सर्जन ही साहित्य को समृद्धि करेगा। खालिद हुसैन सिद्दीकी ने कहा- हिंदी साहित्य की गरिमा बचाए रखने के लिए कवि गोष्ठी कवि सम्मेलन विचार गोष्ठी का आयोजन सरकारी कोष से करवाना चाहिए। रामकुमार नारद ने कहा- हिंदी साहित्य की गरिमा बचाए रखने के लिए अश्लील गानों, वर्तमान के भोजपुरी गीतों, पर सरकार को प्रतिबंध लगा देना चाहिए। और हिंदी साहित्य आमजन की आत्मा है इसे बढ़ावा देने के लिए साहित्य मंच का आयोजन किया जाना चाहिए।
डॉ० धीरज श्रीवास्तव ने कहा- प्रतीक कवि शायर साहित्यकार को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए समाजोपयोगी सिर्जन करना चाहिए। और मनचोंकी प्रदूषित प्रवृत्ति से बचना चाहिए। ईश्वर चंद मेंहदावली ने कहा- साहित्यकारों को देश समाज और वर्तमान का ध्यान रखते हुए सुंदर साहित्य का सृजन करना चाहिए। रामहोसिला शर्मा ने कहा- सभी साहित्यिक कवि चिंतक एवं सरकार को आगे आकर इस विचारनिये बिंदु पर चर्चा करनी चाहिए।
पूजा मन मोहिनी ने कहा- साहित्य की गरिमा बचाने के लिए आमजन को आगे आना चाहिए, जिससे साहित्य की गरिमा बनी रहे। चंद्रगत भारती ने कहा- नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करके और अच्छे साहित्य सृजन से साहित्य की गरिमा बचाई जा सकती है। रामचंद्र जायसवाल ने कहा- साहित्य की गरिमा बचाने के लिए साहित्यकारों का सम्मान पूरे देश में अच्छे पटल पर सरकार द्वारा एवं प्रबुद्ध जनों द्वारा किया जाना चाहिए। गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ सतीश आर्य ने कहा- हमें अपने संस्कारों को संजोए रखने के लिए साहित्यिक गरिमा को सहेजे रखना अति आवश्यक है। इसके अलावा इसरत, सुल्ताना,उमाशंकर दुबे, राम लखन वर्मा, सुधांशु भूषण आदि ने अपने विचार रखे।
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