गोण्डा। गांधी पार्क स्थित राजेंद्र नाथ लाहिड़ी सभागार में राधा कुंड समिति एवं रूद्र फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसका का उद्घाटन नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि कमरुद्दीन कमर, राजीव रस्तोगी विष्णुदत्त सिंह ने माॅ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। कार्यक्रम का संचालन हास्य कवि विकास बौखल ने किया।
कार्यक्रम में हुए आए हुए अतिथियों को सभासद अलंकार सिंह, प्रकाश आर्य हीरू, अनूप श्रीवास्तव, सुधांशु त्रिपाठी फहीम सिद्दीकी सभासदों ने माल्यार्पण कर उनका स्वागत अभिनंदन किया। आगन्तुक कवियों को अंग वस्त्र एवं बैच लगाकर विष्णु दत्त सिंह विसेन, मनीष सिंह, राजेश राय चन्दानी ने बैच लगाकर स्वागत किया। प्रारंभ में बरेली से आई शिल्पी सक्सेना ने मां सरस्वती की वंदना की। अपनी रचना पढ़ते हुए प्यार की एक नई परिभाषा देते हुए नैनीताल से आए कवि मोहन मुंतजीर ने पढ़ा तरस जाओगे, जन्नत को अगर मां-बाप रोएंगे साथ ही साथ उनकी दूसरी पंक्तियां प्यार करो धरती से और आजाद बनो अशफाक बनो, लैलाओं के चक्कर में मजनू बनने से क्या होगा को उपस्थित जनों ने खूब सराहा।
राष्ट्रीय कवि प्रकाश पटारिया ने पढ़ा गगन में आज भी उड़ता हमारा वह परिंदा है समूची आज दुनिया में उस घटना की निंदा है हजारों क्या करोड़ों में बसी आत्मा उसकी भगत सिंह तब भी जिंदा थे आज भी जिंदा है। छतरपुर मध्य प्रदेश से आए सुश्रुत मयंक ने पढ़ा बैठेंगे ना एक पल के लिए मयंक काम मंदिर बनेगा नहीं जब तक राम का। लखनऊ से आए ओज कवि प्रख्यात मिश्रा ने पढ़ा या तो यह तिरंगा में लपेटे घर आऊंगा या तो यह तिरंगा सीमा पार लहर आऊंगा माॅ। रीवा मध्य प्रदेश से पधारे हास्य व्यंग्य के कवि अमित शुक्ला ने पढ़ा कंधे पर पिता ने जिन बेटो को घुमाया था, वही बेटे आज कंधा देने में लजाते हैं।
कवित्री शिल्पी सक्सेना ने पढ़ा चूड़ी कहती विदिंया कहती, कहती यही महावर है देश की शान न जाने पाए यह सुहाग न्योछावर है। कार्यक्रम के संयोजक मनीष सिंह ने पढ़ा देश में अमन और चैन को बाटिये न तिरंगे को हरे लाल में बाटिये भूख रोटी यूं वोट में अब बदल हमको हिंदू मुसलमान में ना बाटिये कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे शिवाकांत मिश्रा विद्रोही ने पढ़ा समंदर को नदी के बाढ़ की चिंता नहीं होती सिंह को गधों के चिघ्घार की चिंता नहीं होती। शिवम मिश्रा ने पढ़ा आ तुझको लेकर चलूं उस चांद तलक चांद को उसकी औकात पता चल जाए।
चंदन तिवारी रूद्र ने पढ़ा राम विरोधी कितने चाहे उनको ना करने देंगे गर मंदिर बन गया तो सरकार नहीं गिरने देंगे को श्रोताओं ने खूब सराहा कार्यक्रम में आशीष सिंह, रितेश श्रीवास्तव सुधांशु त्रिपाठी, विवेक, शिवम का सराहनीय योगदान रहा।
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