Saturday, November 10, 2018

गोण्डा : इटियाथोक क्षेत्र में महिलाओं ने की विधिपूर्वक मनचिंता पूजा// प्रदीप पाण्डेय,

मन की चिंता हर लेती है मनचिंता मैया

गोण्डा। जिले में शनिवार को मनचिंता पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। कस्बे समेत ग्रामीण इलाकों में तमाम महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर नदी, पोखरा व तालाब किनारे विधि-विधान से मनचिंता देवी की पूजा-अर्चना की। महिलाओ ने देवी माता से सुख-समृद्धि की कामना की। जगह-जगह पूजा का आयोजन कर लोगों को प्रसाद वितरण किया गया। परिवार की सुख- समृद्धि की कामना व दुखों के हरण की आस लेकर भैया दूज के बाद महिलाएं मनचिंता पर्व धूमधाम से मनाती हैं। इस दौरान महिलाएं और युवतियां निर्जला व्रत रखकर तालाबों व पोखरों के किनारे मनचिंता देवी की पूजा कर सूर्य को अ‌र्घ्य देती हैं।

इटियाथोक क्षेत्र में अनेक जगह मनचिंता माता की पूजन-अर्चन के लिए सुबह से महिलाओं की भीड़ तालाबों और पोखरों पर उमड़ने लगी। ब्लाक क्षेत्र के अनेक ग्रामो में महिलाओं ने सामूहिक रूप से धूप व अ‌र्घ्य देकर मनचिंता रानी की पूजा- अर्चना कर अपना व्रत पूर्ण किया। इसके साथ ही महिलाओं ने अपने परिवार व समाज के कल्याण के लिए प्रार्थना की। महिलाओ का कहना है की मनचिंता रानी की पूजा करने से मन की चिंता दूर होती है और सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।

दीपावली के बाद कार्तिक मास की तीज को कई समाज की महिलाएं अपने पति और परिवार की दीर्घायु के लिए तालाब किनारे मनचिंता रानी की पूजा करती हैं। हलाकि धीरे-धीरे तालाब गायब होने से अब यह परंपरा भी दम तोड़ती नजर आ रही है। बुजुर्ग महिलाओं ने बताया कि इस पूजा को करने को सुहागिनें घरों से पिसे हुए चावल को गीला कर उससे मछली का आकार बनाकर, सुहाग की डिब्बी, भगवान-शंकर पार्वती के स्वरूप के प्रतीक बनाकर लाती हैं। उन स्वरूपों की पूजा की जाती है। सुहागिनें इस दिन तब तक निर्जला व्रत रखती हैं, जब तक वह पूजा नहीं कर लेती।

इस दौरान मनचिंता रानी और शंकर-पार्वती की कथा पढ़ने की परंपरा है। बुजुर्ग महिलाओं ने कथा के बारे में बताया कि भगवान शंकर-पार्वती की पूजा अर्चना करने के बाद उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान ने मनचिंता रानी को उनकी मन की बात पूरी होने का वरदान दिया था। एक दिन मनचिंता रानी के पति एक वृक्ष पर एक चिन्ह बनाकर यह कहकर गांव से दूर कमाई करने चले गए जब तक यह वृक्ष पर चिन्ह बना रहेगा, तब तक रानी तुम मुझे जीवित समझना। कई वर्षों तक पति के न लौटने पर रानी को पति की चिंता हुई। इस पर उन्होंने भगवान शंकर-पार्वती की उसी वृक्ष के नीचे आराधना करनी शुरू कर दी। इस पर शंकर-पार्वती ने उन्हें एक ही बार मन की बात पूरी होने का वरदान दिया था। इस पर रानी ने पति के सकुशल लौटने को याद किया तो कुछ ही इंतजार के बाद उनका वरदान सफल हुआ और उनके पति वापस लौट आए। उसी दिन से सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए दीपावली के बाद भैयादूज के दूसरे दिन तीज को मनचिंता रानी की व्रत और भगवान शंकर-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

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