गोण्डा (प्रदीप पाण्डेय) इटियाथोक थाना क्षेत्र में कई जगहों पर प्रायः मिट्टी के खुदाई और खुले ट्रालियों में इनके ढुलाई से आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा होने पर चौक चौराहो सहित जगह जगह मार्गो पर धूल मिट्टी बिखर गई है। आने जाने वाले गाडिय़ों के चलने से धूल उडऩे लगती है। राहगीरों और उस जगह रहने वालो के लिए परेशानी का सबब बन गया है। धूल के गुबार की वजह से लोगों का सड़कों पर चलना दुश्वार हो रहा है। इससे दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।
इटियाथोक कोतवाली क्षेत्र की कई ग्रामीण सड़कें दिनभर धूल के आगोश में दिखती हैं। धूल मिट्टी की वजह से सबसे ज्यादा बुरा हाल इटियाथोक-बाबागंज मुख्य मार्ग का है। मध्यनगर से इटियाथोक के बीच कई जगह यही स्थित बनी हुई है। इसी मार्ग के अयाह चौराहे पर कई दिनों से मिट्टी धूल के चलते स्थानीय दुकानदारो और राहगीरों का जीना मुश्किल हो गया है। इसी मार्ग से अंदर जाने वाले रोड समेत क्षेत्र के अन्य कई मार्गों पर पूरा दिन धूल के गुबार देखे जा सकते हैं। धूल के कारण सड़क पर यातायात में भी परेशानी सामने आ रही है। सामने के वाहन नहीं दिखने के कारण दुर्घटना की संभावना बढ़ गई है।
धूल से सबसे ज्यादा परेशानी इन सड़कों पर स्थित दुकानदारों को हो रही है। यहाँ के ग्राम प्रधान अमेरिका प्रसाद सहित रामतेज, भोलानाथ, अमन पाडे, रघुनाथ प्रसाद, पारसनाथ, दुर्गा प्रसाद, अब्दुल वहाब, दीनानाथ, बबलू, अनिल, अजय आदि स्थानीय लोगो का कहना है की इटियाथोक क्षेत्र का अयाह चौराहा अब ऐसा हो गया है की जहां पर हमेशा धूल उड़ती रहती है। बताया की धूल के गुबार दिनभर यहाँ लगातार उठते रहते हैं, जो लोगो के लिए मुसीबत बन चुके है। जानकारों ने कहा बढ़ रहे वायु प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
चौराहे के दुकानदारों का कहना है कि पूरा दिन वाहनों की वजह से धूल के गुबार उड़ते रहते हैं। इस कारण उनकी दुकानों में रखा सामान सहित उनके कपड़े आदि भी खराब हो जाते है। बताया कि पूरा दिन आसमान में धूल के गुबार छाए रहने से यहां से गुजरने वालों के साथ ही यहां आने वालों को भी परेशानी होती है।
सांस लेने में समस्या के साथ सभी का सारा सामान भी खराब हो जाता है। इस कारण लोगो को दिन में दो से तीन बार अपनी दुकानों की सफाई करनी पड़ती है। चाय, समोसे, मिठाई, टिकिया, पकौड़ी आदि की दुकानों पर इस धूल का असर पहुँच रहा है जिसे खाकर लोग बीमारियो को दावत दे रहे है। जानकारों ने कहा की पूरा दिन धूल भरे माहौल में रहने के कारण लोग दमा के रोगी बनते जा रहे हैं। सबसे ज्यादा दुकानदार इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो हमेशा धूल भरे माहौल में रहते हैं। कई दुकानदार दमा और श्वास के रोगी बनते जा रहे हैं।
◆ क्या बोले चिकित्सक
इटियाथोक सीएचसी के अधीक्षक डा0 शैलेन्द्र सिंह ने कहा की व्यक्ति धूल और डस्ट की वजह से दमा का रोगी बन सकता है। इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। धूल और प्रदूषण के कारण दमा और सांस के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। धूल सबसे ज्यादा फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह फेफड़ों में जम जाते हैं, जिससे दमघोंटू रोग होते है। दमा सहित अन्य रोग भी इसी से होते है। कहा कि हमारे वायुमंडल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड आदि गैस एक निश्चित अनुपात में रहती हैं।
यदि इनके अनुपात के संतुलन में परिवर्तन होते हैं तो वायुमंडल अशुद्ध हो जाता है। इसे अशुद्ध करने वाले कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल मिट्टी के कण हैं। श्री सिंह का कहना है कि यहां अनेक ग्रामीण सड़क पर धूल है। वाहनों के गुजरने के कारण यह हमेशा वातावरण में तैरती रहती हैं। इससे लोग बीमार हो रहे हैं। सांस से संबंधित बीमारियों की चपेट में बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। सलाह देते हुए कहा की लोगों को चाहिए कि धूल से बचने के लिए मॉस्क आदि का उपयोग करें।
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