गोण्डा।(राजन कुशवाहा)। परसपुर नगर पंचायत के चुनाव में यह मतदाता व प्रत्याशी को भागीदारी का पहला मौका है। चुनावी दंगल या रणनीतिक महासमर में रिश्ता नाता मायने नही रखता है। बल्कि वर्तमान दौर की राजनीति कुछ ऐसे हिस्सों से अलग ही रूप बयाँ कर रहे हैं। कहने को तो राजनीति में परिवारवाद, अवसरवाद समेत कईयों वाद विवाद आपने सुना है। किंतु नवगठित नगर पंचायत परसपुर के इस चुनावी महासमर में कई दिग्गज अपने अपने जोर व जोरू का आजमाइस करेंगे। कस्बे के गली मुहल्लों व छोटे बड़े दूकानों पर नगर निकाय का चुनावी चर्चा भी जोरों पर है। परसपुर नगर वासियों को यह पहला मौका होगा कि आजादी के सत्तर वर्ष बाद नगर पंचायत के विभिन्न पदों के चुनाव में उम्मीदवार होंगे या मतदान करेंगे।
परसपुर ग्राम पंचायत में आटा व चरहुवाँ के कुछ हिस्सों को जोड़कर बीते वर्ष नगर पंचायत का सृजन हुआ। जिसमे 15 वार्ड नामित किये गए हैं। जिसके चेयरमैन व सभासद पदों के आरक्षण की प्रस्तावित सूची जारी होते ही दावेदारों ने भी चुनाव संघर्ष को कमर कस मैदान में हुंकार भरना शुरू कर दिया है।बहरहाल स्थायी आरक्षण सूची पर सबकी निगाहें टिकी हैं। तुक ताल समीकरण जुटा रहे प्रत्याशी मतदाता भी किसी से कम नही हैं। प्रत्याशी एक दूसरे प्रतिद्वंदी को मान मनव्वल में जुटे हैं। चाचा भतीजा को समझा रहा है। भतीजा हठ किये है। सास बहू का मनुहार कर रही है। जिससे हर जगह चुनाव की सरगर्मियां भी काफी तेज है। इस बार के इस चुनाव में चाचा भतीजा, देवरानी जेठानी और सास बहू जैसे अनमोल रिश्तों के धुरन्धर प्रत्याशी भी आमने सामने प्रतिद्वंद्वी होने समेत भांति भांति की क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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