Friday, October 27, 2017

गोण्डा- नगर समेत ग्रामीण अँचलों में अस्त होते सूरज को अर्घ्य देकर महिलाओं ने की छठ पूजा,

गोण्डा- जिला मुख्यालय पर खैराभवानी मन्दिर पोखर पर सजा पण्डाल एवं रंगारंग कार्यक्रम,

गोण्डा।(ए. सोनी)। लोकआस्था व भगवान सूर्य की उपासना के महापर्व छठ पर व्रत रही महिलाओ का यह त्यौहार क्षेत्र के नदी- तालाब के किनारे बड़े धूमधाम से सम्पन्न हुए। दिनभर व्रत रही महिलाओं ने सूर्यास्त होते ही भगवान भास्कर को अर्ध्य दिया। तथा पुत्र पति के दीर्घायु व परिवार की खुशहाली के लिए कामना की। यह पहला अर्ध्य व्रत रही सुहागिनों ने डूबते हुए सूर्य भगवान को दुसरा अर्ध्य उदय हुए भगवान तपन (सूर्य) को देकर व्रत की पुर्णाहुति की जायेगी।

कांचहि बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए-

छठ पर्व का मौसमी व पर्व आधारित गीत- दर्शन दीन्हीं न अपन ये छठी मइया जैसे गीत गाकर सुहागिनों महिलाओं ने सूर्य की उपासना की। छठ पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ उत्साह पूर्वक मनाने के लिए व्रत उपासक  रही महिलाएं अपने परिवार के लोगो के साथ गुरुवार की शाम घाट पर एकत्रित हुए। यहां पर डूबते हुए भगवान प्रकाश रुप (सूर्य) को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की। जबकि छठ पर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को सुबह उगते सूरज की आराधना किया गया। कहना होगा कि छठ पूजा करने वाले घरो मे पिछले चार दिनों से छठ पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व को लेकर सुहागिन महिलाएं परिवार की सुख समृद्धि के लिये व्रत रही हैं। महिलाओं ने गन्ने के मंडप सजाकर उसमें विभिन्न प्रकार के फलों फूलों और पकवानों को रखकर पूजा-अर्चना की। सूर्य देव के डूबने से पहले महिलाओं ने जल से भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया। इस दौरान महिलाओं ने तालाब में दीपदान भी किया। इससे दीपों की राेशनी से तालाब का पानी जगमगा उठा। छठ महापर्व उत्सव को लेकर शहर समेत ग्रामीण इलाकों मे काफी उत्साह रहा है।

छठ पर्व पर कार्यक्रम बच्चों ने की अातिशबाजी कर मनायी खुशियां -

शहर समेत ग्रमीण अँचलों के तालाब पोखरों पर छठ पूजा के दौरान बच्चों ने जमकर अातिशबाजी की। इस झमाझम अातिशबाजी से तालाब के क्षेत्र जगमगा उठे। और काफी देर तक आतिश के धमाकों की आवाज से सम्पूर्ण क्षेत्र गुंजायमान रहा है।

सुहागिन महिलाएं बोलीं- मन्नतों का पर्व है छठ पूजा-

नदी- तालाबों के घाट पर छठ पूजा की महिलाअों ने बताया कि छठ पर्व सूर्य की उपासना का पर्व है। भगवान मार्तड (सूर्य) की आराधना को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। बहुतायत में छठ पर्व की पूजा की परम्परा भोजपुरी समाज में ज्यादा ही प्रचलित है। इसके साथ ही हिन्दू धर्म के लोगों छठ पर्व बड़े ही धूमधाम व उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। जिसका लोगों में बेसब्री से इंतजार रहता है। छठ पर्व मन्नतों का पर्व भी माना जाता है। अपनी मन्नत पूरी होने पर लोग भगवान सूर्य देव को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं।

छठ पर्व पूजा के समय जब पुरुषों ने जब अपने सिर पर फल फूलों पकवान से सजी डलिया-

तालाब पोखरों के घाट पर छठ मैया पूजा को चलने की तैयारी हर घरों परिवारों में दोपहर से ही शुरू हो गई। सायं चार बजे से महिलाए छठ घाट पर प्रस्थान के लिए घर से निकलने लगी। इस दौरान घर के पुरुष अपने सिर पर डलिया या सुप रखकर आगे-आगे चले। पीछे- पीछे महिलाएं छठी मईया की गीत गाते हुए आगे बढ़ी। यह दृश्य अपने आप मे मनमोहक रहे हैं। इसे देख हर किसी का सिर श्रद्धा से झुक जाता रहा है।

छठी मइया के गीत से गुंजयमान रहा तालाब घाट -
छठ पर्व को लेकर चार दिनो से शहर और ग्रामीण इलाका भक्तिमय रहा। चारो तरफ छठ पूजा की धूम व पारंपरिक गीत गुंजायमान रहे। "छठी माई के भुखनी बरतिया निराजल निराहार...,, "कांचही बास के बहगिया ... ..,, "छठी माई के घटवा पर आज बाजा बजा बजवाइब हो.....,, "कर ले छठ पूजा.. आदि गीतो से माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना रहा।

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