Sunday, January 6, 2019

गोण्डा : परसपुर क्षेत्र के डेहरास उधौरा में आयोजित श्री शतचण्डी महायज्ञ एवं सन्त सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ// रिपोर्टर-अशोक चौहान,


गोण्डा। परसपुर क्षेत्र के डेहरास के उधौरा में आयोजित दस दिवसीय श्री शतचण्डी महायज्ञ का शनिवार को शुभारम्भ हुआ। कोटेश्वरी माता मन्दिर उधौरा में आयोजित 12 वां श्री शतचण्डी महायज्ञ शनिवार को गाजे-बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा जुलूस शनिवार को महायज्ञ स्थल से प्रारंभ होकर पसका सरयू नदी से जल भरकर वापस हुआ। रविवार को वैदिक मंत्रोउच्चरण से कलश पूजन व मंडप प्रवेश किया गया। वैदिक मंडलाचार्य पंडित संतलाल महराज ने बताया कि इस क्षेत्र में गत 12 वर्षों से श्री शतचण्डी महायज्ञ का अनुष्ठान किया जा रहा है। और यहाँ श्रद्धालुओं ने यज्ञ भगवान का परिक्रमा किया। इस दौरान यज्ञ भगवान के गगनभेदी जयकारे से सम्पूर्ण क्षेत्र भक्तिमय गया।

यज्ञ स्थल पर श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। बताया जाता है कि सनातन धर्म मे ऐसी मान्यता है कि पूजा पाठ हवन करते समय देवी-देवताओं की परिक्रमा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता है। और सभी पाप नष्ट होते हैं।

इस परंपरा में धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व है कि जिन मंदिर एवं यज्ञ अनुष्ठान में पूरे विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित कर पूजा पाठ हवन किये जाते है। उस क्षेत्र के आसपास दिव्य शक्ति हमेशा सक्रिय रहती है। यज्ञ भगवान की परिक्रमा करने से शक्ति व ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से मन शांत होता है। जिस दिशा में घड़ी की सुई घूमती है। परिक्रमा उसी दिशा में करनी चाहिए। क्योंकि दैवीय ऊर्जा का प्रवाह भी इसी प्रकार रहता है।

बताया जा रहा है कि ईश्वर की आराधना करने के तरीके अनेक हैं। इसमें पूरे विधि-विधान से पूजा करने से लेकर उपवास रखकर भी ईश्वर को प्रसन्न करने जैसी रीति है। लेकिन इसके अलावा भी एक और अंदाज है। भगवान को याद करने तथा उनसे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का यह विधि परिक्रमा का है। जो किसी धार्मिक स्थल के आसपास की जाती है।

पंडित राघवराम महराज ने बताया कि दस दिवसीय श्री शतचण्डी महायज्ञ एवं सन्त सम्मेलन आयोजित किये गए हैं। यह पाँच जनवरी से प्रारंभ होकर 15 जनवरी को यज्ञ पूर्णाहुति व भंडारे के साथ समापन होगा। उन्होंने बताया कि मानव कल्याण निमित्त इस यज्ञ अनुष्ठान में अयोध्या मथुरा काशी नैमिषारण्य के सन्त विद्वान आएंगे। जिनके श्रीमुख से संगीतमयी कथा प्रवचन सत्संग कार्यक्रम होंगे।

भगवान से विभिन्न फल पाने की आकांक्षा या फिर अपने मन को शांति देने के लिए ईष्ट आराध्य देव की प्रार्थना करते हैं। इसी तरह से भगवान की परिक्रमा करते हुए भी हमें अनेक लाभ मिलते हैं। कहते हैं मंदिर या पूजा स्थल पर प्रार्थना करने के बाद उस जगह का वातावरण काफी सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। श्री शतचंडी महायज्ञ परिसर में सुबह से देर सायं तक क्षेत्र के हर नर नारी व बच्चे बुजुर्ग यज्ञ भगवान की परिक्रमा को पहुंच रहे हैं। जिससे यज्ञ भगवान की 108 परिक्रमा को श्रद्धालुओं की काफी भीड़ हो रही है।

परसपुर क्षेत्र के उधौरा डेहरास में अनवरत 12 वर्षो से जगत कल्याणार्थ निमित्त यह धार्मिक आयोजन प्रतिवर्ष हो रहा है। यह श्री शतचण्डी महायज्ञ पंद्रह जनवरी को पूर्णाहुति व समापन होगा। इस दौरान नित्य प्रति वैदकीय मन्त्रोच्चारण, पूजा -पाठ, आरती, हवन, यज्ञ परिक्रमा समेत सायंकालीन संगीतमयी आध्यात्मिक सत्संग, कथा- प्रवचन व धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

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