गोण्डा 13 जनवरी।(प्रदीप पाण्डेय)। मनुष्य जब भी भक्ति की खोज में निकलता है, तो उसके मार्ग में चार प्रकार की बाधाएं आती हैं। यह सभी बाधाएं भक्ति (सीता) की खोज में निकले बजरंग बली के रास्ते में भी आई थीं। यह बात अखिल भारतीय श्री राम नाम जागरण मंच के तत्वाधान में प्रदर्शनी मैदान में चल रही राम कथा में अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश भाई शुक्ल ने कही।
व्यास पीठ ने कहा कि सीता की खोज में निकले हनुमान जी के मार्ग की सबसे पहली बाधा मैनाक पर्वत (सोने का पहाड़) था। जैसे ही हम भक्ति की खोज में निकलते हैं, हमें धन-दौलत मिलने लगती है और हम उसी के मोहपाश में उलझकर रह जाते हैं। दूसरी बाधा सुरसा (झूठी प्रशंसा करने वाले) है। थोड़ी सी आर्थिक स्थिति सुधरी नहीं कि झूठी वाहवाही करने वाले लोग घेर लेते हैं। परिणाम स्वरूप व्यक्ति अपने मार्ग से भटक जाता है। तीसरी बाधा सिंघिका राक्षसी (ईर्ष्या) है। इसके कारण भी व्यक्ति कर्तव्य पथ से हट जाता है। चौथी बाधा लंकिनी (प्रवृत्ति) है, जो प्रवेश द्वार पर ही खड़ी रहती है।
इसको शांत किए बिना हम लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते हैं।
सीता खोज की कथा सुनाते हुए व्यास पीठ ने कहा कि शास्त्रों में सीता का चार रूप बताया गया है। वह ज्ञानियों के लिए शांति है। कर्मयोगियों के लिए शक्ति है। भक्तों के लिए भक्ति है और दीन- हीनो के लिए मां है। जो उन्हें जिस रूप में प्राप्त करना चाहता है। वह उसे उसी रूप में प्राप्त होती हैं। कथावाचक ने भक्ति को पाने के लिए चार लक्षण बताए। उन्होंने कहा कि भक्ति की खोज में लगे भक्त के मुंह में राम नाम होना चाहिए। हनुमान जी ने भगवान राम द्वारा दी गई राम नाम लिखी मुद्रिका को अपने मुख में रखा था। आंख बंद करके गुफा से यथाशीघ्र बाहर निकलना होगा।
संसार के जंजालों से जल्द बाहर आना होगा। सम्पाती ने बताया था कि शत योजन सागर लांघने पर सीता मिलेंगी। इस सत योजन का मतलब अंदर के अहंकार से है। चौथी बात उसे बाण के समान आगे चलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बाण की अपनी कोई क्षमता नहीं होता है। कोई व्यक्ति उसे धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ाकर संधान करता है। तब वह उसके ताकत से आगे बढ़ता है। हनुमान जी राम की ताकत से आगे बढ़ रहे थे। जीवन में हमें भी एक सद्गुरु अवश्य करना होगा।
उन्होंने भक्ति पाने के तीन लक्षण बताते हुए कहा कि वह अपनी आंखों से अपना आचरण निहारे।
मन राम जी के चरणों में लीन हो। साथ ही वह दीन-हीन भी हो। शुक्ल ने कहा कि जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान पहले से मौजूद रहता है। जैसे अशोक वृक्ष के नीचे बैठी सीता के लिए रावण रूपी समस्या का समाधान हनुमान पहले से ही ऊपर बैठा है। भक्ति का आशीर्वाद पाने के लिए हमें दो काम अवश्य करना पड़ेगा। जो हनुमान ने किया। पहला राम नाम जपो और राम कथा सुनो।
इस मौके पर कथा के आयोजक निर्मल शास्त्री, मुख्य राजस्व अधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल, राम प्रकाश गुप्त, गनेश कुमार श्रीवास्तव, कैप्टन आरयू पांडेय, डॉ प्रभा शंकर द्विवेदी, आशीष कुमार पांडेय, सूबेदार शुक्ला, जगदम्बा प्रसाद शुक्ला, सभाजीत तिवारी, संदीप मेहरोत्रा, गौरव कृष्ण शास्त्री, हरिओम शरण पांडेय, अंकुर शास्त्री, राजू ओझा, ईश्वर शरण मिश्र, विनय चतुर्वेदी, प्रदीप दीक्षित, हरी कृष्ण ओझा, राज कुमार मिश्र आदि उपस्थित रहे।
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