गोण्डा। छपिया ब्लॉक के ग्राम पंचायतों को कागजी तौर पर ओडीएफ घोषित कर दिया गया। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार शौचालय बनवाने के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगा रही है।तो वहीं ग्राम सचिव व ग्राम प्रधान मिलकर सभी नियमो को ताक पर रखकर बंदरबाँट करने में लगे हैं।ब्लाक मुख्यालयों से सांठ गांठ हो जाने के बाद लाभार्थियों से भी शेरों की तरह गुर्राते हुए कहते है कि कहीं भी जाओ लेकिन कोई सुनवाई नही होगी।
जो संबंधित अधिकारियों के ऊपर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे हैं।ऐसे ही पहले पड़ताल के दौरान जो सच सामने आया वह किसी को भी को चौका सकता है। सचिव व ग्राम प्रधान सर्वप्रथम लाभार्थियों के खाते में सहायता राशि मुहैया करवाते हैं। उसके पश्चात उन्ही भोले-भाले लाभार्थियों से पैसा निकलवाकर स्वयं शौचालय बनवाने के नाम पर बारह हजार रुपये ले लेते हैं। और मानकविहीन शौचालय मात्र एक गड्ढे का बनवाकर बचे पैसों से अपनी जेबें गर्म करते हैं। जबकि नियमानुसार दो दो गड्ढों का शौचालय व शौचालय घर बनना चाहिए।
ऐसा ही एक मामला विकासखंड छपिया के नरैचा का है। जहां ग्राम प्रधान सचिव कई दर्जन शौचालयों को एक ही गड्ढे में बनवा दिया। तो कहीं कहीं शौचालय का घर बनवा दिया, लेकिन उसमें न तो सीट बैठाई गई। और अन्य कार्य भी नहीं कराया गया। लेकिन विकासखंड के बहुतेरे ग्राम पंचायतों में ऐसे खेल हो रहे हैं। जिसमे विभागीय अधिकारियों के मिली भगत की भी बू आ रही है।
क्या बोले जिलाधिकारी
डीएम कैप्टन प्रभांशु श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे मामले मेरे संज्ञान में नही था। मामला संज्ञान में आ चुका है।संबंधित अधिकारियों से जाँच करवाकर कड़ी कार्यवाही की जागेगी।
तो वहीं सीडीओ अशोक कुमार ने बताया कि टीम गठित करके जिले से जांच हेतु भेजा जाएगा। कमियां मिलने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
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