गोण्डा (प्रदीप पाण्डेय) इटियाथोक क्षेत्र में केप्राचीन ईश्वरनन्द कुट्टी मंदिर पर आगामी 23 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के मेला को लेकर दुकानें सजने लगी है। सर्कस, झूला, मौत कुंवा समेत अन्य स्टाल मेले का मुख्य आकर्षण रहते हैं। जिसमे आस पास क्षेत्र के हजारो श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर के महंथ चंद्रभूषण दास महराज ने बताया की मेले के आयोजन की तैयारियां शुरू है। मेले में आसपास के ग्रामीण अंचलों समेत दूरदराज की काफी दुकानें व श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर की रंगाई पुताई और साफ़ सफाई कराई जा रही है। मेले में सर्कस, मौत का कुवां, झूला समेत अन्य साधन आ रहे है। एडीओ पंचायत इटियाथोक फूलचंद्र श्रीवास्तव ने बताया की मेला क्षेत्र के साफ़- सफाई के लिये सफाईकर्मियो की ड्यूटी लगाई गई है। मंगलवार और बुधवार को टीम द्वारा मेला परिसर की साफ सफाई कराई जाएगी।
पण्डित त्यागानन्द पाण्डेय ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पूरे साल जितना गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। इस साल 23 नवंबर शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा है। कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि पर ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस दिन चंद्रोदय के समय शिवजी और कृतिकाओं की पूजा करने से भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा भी की जाती है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है। गंगा स्नान के बाद जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। इस दिन मौसमी फल, उड़द दाल, चावल आदि का दान काफी शुभ होता है।
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