Friday, November 16, 2018

गोण्डा : परसपुर के पूर्व प्रधानाचार्य अभय दत्त सिंह के निधन पर क्षेत्र में शोक की लहर// राजन कुशवाहा,


गोण्डा (राजन कुशवाहा)। परसपुर कस्बे के तुलसी स्मारक इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य अभय दत्त सिंह शुक्रवार की शाम को चिरनिद्रा में लीन हो गए। जिसकी खबर फैलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। उनके गांव उमरापुर चौहान में पैतृक आवास पर शुभचिंतक सगे सम्बन्धी व प्रतिनिधियों की भीड़ उमड़ पड़ी। काफी संख्या में सगे सम्बन्धी व ग्रामीण उनके पैतृक आवास पहुँचे। बेलसर विकास खण्ड के ग्राम उमरापुर चौहान गांव में क्षत्रिय कुल कटेसर सिंह के परिवार में 20 जुलाई 1942 को जन्मे अभय दत्त सिंह शिक्षक रहे हैं। वह परसपुर के तुलसी स्मारक इंटर कालेज में अध्यापन कार्य करते हुए 30 जून 2003 को प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हो गए।

उन्होंने पत्नी के निधन के बाद वर्ष 2016 सितम्बर में स्वाभाविक जीवन निर्वाह में असुविधाओं का दौर महसूस करने पर वह सितम्बर 2016 में जीवन के संस्मरण लेखन प्रारंभ किया। और "बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेई" नामक पुस्तक लेखन दिनचर्या बन गया। जो 8 जुलाई 2017 को दिल्ली के संग्रह टाइम्स से प्रकाशित हुई। श्री सिंह का जीवन अत्यंत सरल सहज व मधुर रहा है। शिक्षक रहे अभय दत्त सिंह के पिता का नाम रामनेवाज सिंह, माता देवराज कुँवरि था। श्री सिंह ने गांव के प्राइमरी स्कूल उमरापुर से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त किया। पूर्व माध्यमिक शिक्षा बेलसर के जूनियर हाईस्कूल तथा माध्यमिक शिक्षा जिला मुख्यालय के टामसन इंटर कॉलेज से प्राप्त किया। बीए, बीएड बलरामपुर के महारानी लाल कुँवरि महाविद्यालय तथा एमए गोरखपुर से किया। श्री सिंह ने अध्ययन काल कक्षा ग्यारह में पढ़ते हुए 17 वर्ष (नाबालिक) की आयु में चार जून 1957 में कमला देवी से विवाह हो गया। जिनसे दो पुत्र व दो पुत्रियां हैं।

श्री सिंह ने 1960-61 में अप्रशिक्षित जेटीसी ग्रेड से अपनी सेवा आरम्भ करते हुए तुलसी स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (वर्तमान में इंटर कॉलेज) परसपुर में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया। जुलाई 2000 ई से 30 जून 2003 तक तुलसी स्मारक इंटर कॉलेज परसपुर में प्रधानाचार्य पद पर अध्यापन करते हुए सेवानिवृत्त हो गए। और उन्होंने पत्नी के निधन के बाद वर्ष 2016 सितम्बर में स्वाभाविक जीवन निर्वाह में असुविधाओं का दौर महसूस करने पर वह सितम्बर 2016 में जीवन के संस्मरण लेखन प्रारंभ किया। उन्होंने अपने बाल्यावस्था से बृद्धावस्था तक के जीवन संस्मरण स्वरचित पुस्तक में उल्लेख किया है। सूर्य प्रसाद मिश्र पत्रकार, डॉ सूर्यपाल सिंह, डॉ श्रीनारायण मिश्रा, महाराज दीन पाण्डेय, डॉ सन्त शरण त्रिपाठी सन्त समेत कई ईष्ट मित्रों का अपने स्वरचित पुस्तक में उल्लेख किया हैं। पुस्तक में डॉ श्रीनारायण त्रिपाठी ने लिखा है कि अभय दत्त सिंह सबके साथ समान व्यवहार, समय बध्यता, अनुशासन एवं श्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था के पोषक रहे हैं। डॉ सूर्यपाल सिंह ने लिखा है कि वे मनुष्यता के उपासक व मानवीय चेतना के धनी रहे हैं।

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